राजधानी दिल्ली में टोल नाकों को मुफ्त करने की योजना अब लागू नहीं होगी। दक्षिणी निगम ने अब सहकार ग्लोबल लिमिटेड के माध्यम से टोल वसूली का फैसला लिया है। दरअसल, निगम ने टोल वसूलने वाली कंपनी एमईपी इन्फ्रास्टक्चर लिमिटेड का कार्यादेश निरस्त कर दिया था। निगम का कहना था कि एमईपी तय शर्तों के मुताबिक निगम को भुगतान नहीं कर रही थी। इसके बाद बीते वर्ष निगम ने निविदा प्रक्रिया के जरिये सहकार ग्लोबल को इस कार्य के लिए चयन किया गया था। लेकिन, मामला दिल्ली हाईकोर्ट में लंबित होने के चलते सहकार ग्लोबल टोल को कार्यादेश जारी नहीं कर पा रहा था। दिल्ली हाई कोर्ट से पुरानी कंपनी के कार्यादेश को निरस्त करने की मंजूरी मिलने के बाद दक्षिणी निगम अब नई कंपनी को टोल वसूली का कार्य सौंप दिया है।

दिल्ली में जितने भी टोल एंट्री पॉइंट्स हैं, वहां टोल कलेक्शन के लिए नई एजेंसी दिखाई देने लगी है। एमसीडी अफसरों का कहना है कि एजेंसी को हर महीने 100 करोड़ (सालाना 1200 करोड़) का रेवेन्यू देना था। लेकिन एजेंसी हर महीने 80 करोड़ रुपये ही दे पा रही थी। नई एजेंसी के लिए नए टेंडर में एमसीडी ने इस बार कोरोना और दंगों जैसी स्थितियों का भी जिक्र किया है, ताकि दिल्ली में अगर कभी ऐसी समस्या हो तो, एजेंसी को राहत दी जा सके।

साउथ एमसीडी के एक सीनियर अफसर का कहना है कि पिछले साल दिल्ली के 13 टोल एंट्री पॉइंट्स पर टोल टैक्स और ईसीसी (एनवायरमेंटल कंपनसेशन चार्ज) कलेक्शन का कॉन्ट्रैक्ट एक निजी एजेंसी को दिया गया था। टेंडर शर्तों के मुताबिक, एजेंसी को रेवेन्यू के रूप में हर महीने एमसीडी को 100 करोड़ रुपये देने थे। लेकिन, एजेंसी नहीं दे पा रही थी। एमसीडी को इससे 240 करोड़ (हर महीने 20 करोड़) रुपये का सालाना घाटा हो रहा था। एजेंसी का तर्क था कि ईस्टर्न – वेस्टर्न पेरिफेरल रोड के बनने से बाहरी राज्यों से दिल्ली में आने वाली गाड़ियों की संख्या में कमी हो गई है।

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