राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राजस्थान स्पीकर सीपी जोशी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया.

 राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राजस्थान स्पीकर सीपी जोशी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने राजस्थान स्पीकर की याचिका पर सुनवाई की. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन होगा. हाईकोर्ट कल फैसला सुनाएगा और सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट इस बाबत सुनवाई करेगा कि क्या हाईकोर्ट स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर सकता है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट कानून के बड़े सवाल पर विचार करेगा. सुप्रीम कोर्ट स्पीकर के अधिकार बनाम कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर विचार करेगा.

मामले से जुड़ी अहम जानकारियां :

  1. सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर सीपी जोशी की तरफ से वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा, ”हाईकोर्ट स्पीकर को आदेश नहीं दे सकता, न्यायालय निर्णय का समय बढ़ाने के लिए स्पीकर को निर्देश नहीं दे सकता. जब तक अंतिम निर्णय स्पीकर द्वारा नहीं लिया जाता है, तब तक न्यायालय से कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है.” कपिल सिब्बल ने कहा, ”हाईकोर्ट का निर्देश वैध नहीं है. राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला सही नहीं है. स्पीकर के फैसले से पहले कुछ भी होता है तो कोर्ट दखल नहीं दे सकता. अयोग्यता से संबंधित सभी कार्यवाही सदन तक ही सीमित होनी चाहिए. जब स्पीकर फैसला कर रहा है तो हाईकोर्ट आदेश जारी नहीं कर सकता.”
  2. कोर्ट में जस्टिस अरुण मिश्रा ने पूछा, ”जब अदालत के समक्ष कार्यवाही लंबित है, तब स्पीकर द्वारा विधायक को अयोग्य ठहराए जाने या निलंबित करने पर भी अदालत हस्तक्षेप नहीं कर सकते?” इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, ”हां, लेकिन केवल तभी जब स्पीकर अयोग्य ठहराते हैं या या निलंबित करते हैं. दसवीं अनुसूची के पैरा 6 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि स्पीकर का निर्णय अयोग्यता कार्यवाही में अंतिम है. अयोग्यता से संबंधित सभी कार्यवाही सदन तक ही सीमित होनी चाहिए.”
  3. कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट केवल तब दखल दे सकता है जब स्पीकर विधायक को सस्पेंड या अयोग्य घोषित कर दे. अपवाद यह है कि यदि कार्यवाही की पेंडेंसी के दौरान अयोग्यता की जाती है तो अदालत हस्तक्षेप कर सकती है. अयोग्यता से पहले किसी भी कार्यवाही को चुनौती देने के लिए कोई भी रिट दाखिल नहीं हो सकती. कपिल सिब्बल ने कहा, ”किहितो का फैसला साफ कहता है कि नोटिस के स्टेज पर कोर्ट दखल नही दे सकता है. इस स्टेज पर कोई सुरक्षात्मक आदेश नहीं दिया जा सकता.”
  4. जस्टिस मिश्रा ने सिब्बल से पूछा, ”क्या आपको हाईकोर्ट ने इस प्वाइंट पर नहीं सुना? आप ये बताइए कि किन आधारों पर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहे हैं.” कपिल सिब्बल ने हाल के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें स्पीकर को एक उचित समय सीमा के भीतर निर्णय लेने के लिए कहा गया. कपिल सिब्बल ने कहा, ”हाईकोर्ट का आदेश सचिन पायलट और अन्य 18 विधायकों को प्रोटेक्ट करता है. हाईकोर्ट इस स्टेज पर प्रोटेक्शन का आदेश जारी नही करता.” सिब्बल ने व्हिप के पार्टी मीटिंग के नोटिस को पढ़ा.
  5. जस्टिस मिश्रा ने कहा, ”ये स्पीकर से संबंधित नहीं है क्योंकि ये पार्टी की मीटिंग है. पार्टी की मीटिंग के लिए व्हिप ने जारी किया.” कपिल सिब्बल बोले- ये लोग विधायिका बैठक में शामिल नहीं हुए और अपनी ही सरकार को अस्थिर करने की साजिश रच रहे थे. वो हरियाणा चले गए और आजतक को बयान जारी किया. यह स्वैच्छिक तौर पर  सदस्यता छोड़ने के समान है. कपिल सिब्बल ने कहा कि चीफ व्हिप ने सचिन और अन्य 18 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता को लेकर स्पीकर के समक्ष अर्जी दी थी.
  6. कपिल सिब्बल ने कहा कि चीफ व्हिप ने सचिन और अन्य 18 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता को लेकर स्पीकर के समक्ष अर्जी दी थी. विधायक यह कहते हुए याचिका दायर नहीं कर सकते कि स्पीकर उन्हें नोटिस जारी नहीं कर सकते. कपिल सिब्बल ने कहा, ”स्पीकर के फैसला करने तक कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है. अभी तक स्पीकर ने कुछ तय नहीं किया है लिहाजा वो याचिका हाईकोर्ट में दाखिल नही कर सकते थे.”
  7. जस्टिस मिश्रा ने उठाया सवाल, कहा – मान लीजिए किसी नेता का किसी पर भरोसा नहीं. तो क्या आवाज उठाने पर उसे अयोग्य करार दिया जाएगा. पार्टी में रहते हुए वे अयोग्य नहीं हो सकते. फिर ये यह एक उपकरण बन जाएगा और कोई भी आवाज नहीं उठा सकेगा. लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह बंद नहीं हो सकती. लोकतंत्र में असंतोष की आवाज इस तरह दबाई नहीं जा सकती.
  8. जस्टिस अरुण मिश्रा ने सिब्बल से पूछा, ”क्या लोकतंत्र में असहमति (विधायकों की आवाज) को बंद किया जा सकता है? यह कोई मामूली बात नहीं है. ये जनता द्वारा चुने गए लोग हैं. जस्टिस बीआर गवई बोले- स्पीकर कोर्ट क्यों आए. वो न्यूट्रल होते हैं. वो कोई प्रभावित पक्ष नहीं हैं. जस्टिस मिश्रा ने कहा केवल एक दिन की बात है आप इंतजार क्यों नही कर लेते? आखिरकार वे लोगों द्वारा चुने गए हैं. क्या वे अपनी असहमति व्यक्त नहीं कर सकते? असंतोष की आवाज दबाया नहीं जा सकता. फिर लोकतंत्र बंद हो जाएगा.
  9. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा, ”लेकिन फिर भी उन्हें जवाब देना होगा. यह स्पीकर ही तय करेंगे, कोई कोर्ट नहीं. लेकिन अदालत कैसे निर्देश दे सकती है?” पायलट खेमे से वकील हरीश साल्वे ने कहा कि हाईकोर्ट कल फैसला सुनाएगा. कोर्ट ने कहा हम ये बात जानते है. असंतोष को असहमति कर लीजिए हर जगह.
  10. सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल को कहा कि वो स्पीकर की याचिका पर सुनवाई टालना चाहता है क्योंकि ये गंभीर मुद्दा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की गहन सुनवाई की जरूरत है. सिब्बल ने तब तक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक की मांग की. मुकुल ने स्पीकर की कार्रवाई पर सवाल उठाए. हाईकोर्ट कल फैसला सुनाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन कहा कि हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन होगा. सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान स्पीकर की हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग ठुकराई. सुप्रीम कोर्ट इस बाबत सुनवाई करेगा कि क्या हाईकोर्ट स्पीकर के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर सकता है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट कानून के बड़े सवाल पर विचार करेगा. स्पीकर के अधिकार बनाम कोर्ट के क्षेत्राधिकार पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
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