भारत-चीन तनाव के बीच 22 जून को भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट कमांडर स्तर के अधिकारियों की बातचीत हुई है. जानकारी है कि यह बातचीत बहुत ही बेहतर माहौल में हुई है और दोनों देशों ने जवानों की वापसी करने को लेकर आपसी सहमति जताई है. सेना के सूत्रों से यह जानकारी मिली है.

सेना के सूत्रों ने बताया है कि दोनों देशों की सेना ईस्टर्न लद्दाख से पीछे हटने को तैयार हो गई हैं. मंगलवार को सेना की ओर से कहा गया है कि सोमवार को दोनों देशों की ओर से गलवान घाटी में हुई झड़प और संघर्ष के दूसरे मुद्दों के लेकर लेफ्टिनेंट कमांडर स्तर पर बातचीत हुई, जिसमें दोनों देश ‘सेना की वापसी के लिए आपसी सहमति’ जताई. सेना ने कहा कि ये बातचीत बहुत ही सकारात्मक और बेहतर माहौल में हुई.

आर्मी ने बताया कि इस बातचीत में पूर्वी लद्दाख के इलाके से सेना वापस बुलाए जाने को लेकर पूरी डिटेल पर चर्चा हुई और दोनों देशों की सेनाएं इस हिसाब से आगे बढ़ेंगी. लेफ्टिनेंट कमांडर स्तर की यह बातचीत पूर्वी लद्दाख के चुशुल के चीनी बॉर्डर के तहत आने वाले मोल्डो इलाके में हुई है.

इसके पहले 6 जून को दोनों देशों के बीच में हफ्तों से चले आ रहे तनाव को कम करने के लिए बातचीत हुई थी, लेकिन उसके नौ दिन बाद ही 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें 20 भारतीय जवानों ने अपनी जान गंवा दी थी.

6 जून को हुई बातचीत में आपसी समझौता हुआ था, जिसके तहत चीनी सेना को यहां अपने टेंट हटाने थे लेकिन उन्होंने इससे मना किया, जिसके बाद भारतीय जवानों की उनसे झड़प हो गई. चीनी जवानों ने इस हिंसक झड़प में कील लगे हुए डंडे, नुकीली छड़ें और पत्थरों का इस्तेमाल किया. सोमवार को सेना के सूत्रों के हवाले से खबर आई कि  दोनों देशों के बीच सैन्‍य स्‍तर की बातचीत के दौरान चीन की सेना ने स्‍वीकार किया है कि उनका कमांडिंग ऑफिसर इस दौरान मारा गया था.
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